Sabhar/saujany se 

स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले दोपहर के भोजन (मिड-डे मील) की गुणवत्ता को लेकर अब सिर्फ शिकायतों या नाखुशी जताने भर से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसके लिए अभिभावकों व समाज के प्रबुद्ध लोगों को कुछ जिम्मेदारी भी उठानी होगी। शिक्षा मंत्रालय फिलहाल इसे लेकर एक नए मिशन पर काम कर रहा है। जिसके तहत स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले दोपहर के खाने की अब सोशल ऑडिट अनिवार्य होगी। साथ ही सभी राज्यों को इसकी रिपोर्ट मंत्रालय को अनिवार्य रूप से मुहैया करानी होगी। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, वैसे तो पीएम पोषण स्कीम के तहत सोशल ऑडिट की व्यवस्था बनाई गई है, लेकिन यह अभी अनिवार्य नहीं है। इसके चलते न तो स्कूल इस पर अमल करते है न ही राज्यों की इसमें कोई रूचि होती है। मंत्रालय के मुताबिक, इस नई पहल के तहत अब स्कूलों के मिड-डे मील की अनिवार्य रूप से सोशल ऑडिट जरूरी होगी। शुरूआत में यह व्यवस्था प्रत्येक जिले के करीब 20-20 स्कूलों से शुरू होगी, बाद में इससे जिले के सभी स्कूलों को जोड़ा जाएगा। मंत्रालय का मानना है कि प्रत्येक स्कूलों के खाने की गुणवत्ता सरकारी स्तर पर नहीं जांची जा सकती है, ऐसे में यदि इसका जिम्मा अभिभावकों और स्थानीय प्रबुद्ध लोगों को दे दिया जाए, तो वह इस पर बेहतर नजर रख सकेंगे।

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