प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 70वें जन्मदिन पर मिल रही शुभकामना संदेश इस बात का गवाह है कि उन्होंने विदेशी देशों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने में सफलता पाई है।प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में देश के साथ विदेश नीति पर भी मेहनत की है और इसमें सफलता भी हासिल की। प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान तक से संबंधों को सुधारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके लिए उन्होंने लाहौर दौरे से भी गुरेज नहीं किया। विश्व आर्थिक फोरम जैसे बड़े मंच पर जलवायु और पर्यावरण के लिए प्रधानमंत्री ने ऋग्वेद की ऋचा 'त्येन तक्तेन भूंजीता... ' तक का बेझिझक जिक्र किया, जिसके अनुसार, प्रकृति से आवश्यकता से अधिक न लेने की हिदायत है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत की विदेश नीति में काफी बदलाव किया गया। चाहे ताइवान और इजरायल हो या फिर पाकिस्तान, सभी दिशाओं में प्रधानमंत्री मोदी ने कड़ी मेहनत की। इसमें से एक प्रधानमंत्री मोदी की लाहौर यात्रा भी है। इसके लिए उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने न्योता दिया था और पीएम मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए इस आमंत्रण को स्वीकार किया था। इसके बाद मध्यपूर्व देशों सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात  से भी रिश्ते बनाएं। पीएम मोदी अमेरिका समेत अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए, लेकिन जलवायु परिवर्तन के मामले पर उन्‍होंने कभी समझौता नहीं किया। हाल में चीन के साथ सीमा पर करारा जवाब पीएम मोदी के निर्भीक होने का परिचय देता है। इसके अलावा पिछले हफ्ते जापान के साथ बातचीत कर दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच आपूर्ति एवं सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए। अंतरराष्ट्रीय मंचों में हाल में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की कुर्सी के लिए ज्यादातर देशों का समर्थन इस बात को दर्शाता है। पीएम मोदी ने आरसीईपी वार्ता से हाथ खींचकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चौंका दिया और दुनिया को बताया कि पीएम मोदी के लिए देश से बढ़कर कुछ भी नहीं।

 

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