शराब की आलोचना तो सभी करते हैं, लेकिन उसका मोह भी नहीं छोड़ना चाहते। यही कारण है कि शराब किसी की बर्बादी का कारण है तो सरकारों की तिजोरी भरने का जरिया भी। न इसे पीने वाले छोड़ पा रहे और न पिलाने वाली सरकार त्यागने का साहस कर पा रही है। मध्य प्रदेश में ऐसी ही स्थिति है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन विरले नेताओं में हैं, जिन्होंने कई बार शराब की बिक्री और उसके प्रसार के खिलाफ आवाज उठाई। पिछले कार्यकाल में उन्होंने शराब की एक भी नई दुकान नहीं खुलने दी थी। नर्मदा तट के दोनों ओर पांच किलोमीटर के दायरे में दुकानें और अहाते बंद करने का निर्णय उनके कार्यकाल में ही लिए गए थे। नर्मदा सेवा यात्रा हो या फिर अन्य मंच, उन्होंने बेझिझक एलान किया था कि देश में धीरे-धीरे शराब की दुकानें कम की जाएंगी।आज शिवराज के इस अडिग संकल्प को परिस्थितियों ने डिगा दिया है। शिवराज वही हैं, लेकिन राज्य की खराब वित्तीय हालत ने शराब को फलने-फूलने का पूरा मैदान दे दिया है।

(सभार/सौजन्य से)

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