नई दिल्ली : रेलवे ने शुक्रवार को एक अजीब अपील की। कहा ‘पहले से बीमार लोग, गर्भवती महिलाएं, 10 साल से कम उम्र के बच्चे और
बुजुर्ग श्रमिक ट्रेनों में यात्रा करने से बचें।’ थोड़ी देर बाद रेल मंत्री पीयूष
गोयल भी सामने आए।
रेल
मंत्री ने भी ट्वीट करके यही बात दोहराई। बस अपने अफसरों की बातों को थोड़ा सुधार
दिया। बोले- ‘आवश्यक
होने पर ही यात्रा करें।’ पर सबसे
जरूरी बात ये है कि इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनाें में सफर कौन कर रहा है? सीधा-सा जवाब है- सबसे मजबूर
लोग। तो क्या ये लोग परिवार को छोड़कर निकल पड़ें?
रेलवे और
मंत्रीजी की अपील तब सामने आई है, जब घर लौटते मजदूरों और उनके बच्चों की मौत का सिलसिला
बदस्तूर जारी है। 48 घंटे में श्रमिक ट्रेनों में 9 लोगों की मौत हुई है। जो मजदूर
लॉकडाउन की वजह से 2 महीनों
से दूसरे राज्यों में फंसे हैं, वे अपने घर के बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को
पीछे अकेला छोड़कर सफर कैसे कर सकते हैं?
इन
लोगाें के लिए श्रमिक ट्रेनें एक मई से शुरू हुई हैं। गुरुवार को प्रवासियों के
मुद्दे पर जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, तब सरकार ने दावा किया कि 27 दिन के अंदर हमने 91 लाख लोगों को घर पहुंचाया है।
लेकिन मुंबई, दिल्ली
के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों से रोज सामने आ रहीं तस्वीरें बताती हैं कि अभी भी
बड़ी तादाद में मजदूरों को घर वापसी का इंतजार है।
(सभार/सौजन्य
से)
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