लंदन :  कोरोना वायरस से पूरी दुनिया परेशान है। तमाम देशों के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन खोजने में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में ऑक्सफोर्ड विश्वविश्वद्याल ने एक वैक्सीन तैयार की है, इस टीके की खोज के लिए ब्रिटिश सरकार ने मंगलवार को 20 मिलियन पाउंड्स (189 करोड़ रुपये) खर्च करने की घोषणा की है। दुनियाभर में संक्रमित मरीजों की संख्या 25 लाख के पार पहुंच चुकी है।
इन दिनों दुनिया में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर है। दुनिया के 210 देशों में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 25 लाख 57 हजार से अधिक है। जबकि अब तक एक लाख 77 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के संक्रमण से सबसे ज्यादा अमेरिका प्रभावित है।

दो साल का ट्रायल दो महीने में होगा पूरा
नियमतः किसी भी वैक्सीन का ट्रायल पहले जानवरों पर होता है उसके बाद उसे इंसानों पर प्रयोग किया जाता है। इससे पता चलता है कि ये मनुष्यों के लिए कितना सेफ है। इसमें दो साल तक लग जाता है। पूरी दुनिया में आपातकाल जैसी स्थिति को देखते हुए इस प्रक्रिया को दो महीने में पूरा करने की तैयारी है। क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे फेज में कृत्रिम इन्फेक्शन पर वैक्सीन को आजमाया जाता है। वैक्सीन की सेफ्टी, साइड इफेक्ट और असर का आकलन इसी फेज में होता है। फेज 3 में बड़े पैमाने पर इसका वास्तविक इस्तेमाल होता है। फेज-4 में वैक्सीन का लाइसेंस हासिल किया जाता है ताकि मार्केट में बिक्री के लिए उतारा जा सके।
एक मिलियन डोज बनाने की तैयारी
जानकारी के अनुसार ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में 10 लाख (एक मिलियन) वैक्सीन की डोज बनाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि दुनिया में सितंबर तक कोरोना की वैक्सीन अस्तित्व में सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक बार वैक्सीन की क्षमता का पता चल जाए तो उसे बढाने पर बाद में भी काम हो सकता है। ये स्पष्ट है कि पूरी दुनिया को करोड़ों डोज की जरूरत पड़ने वाली है। तभी इस महामारी का अंत होगा और लॉकडाउन से मुक्ति मिलेगी।  
(सभार/सौजन्य से)


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