मनोज कुमार, प्रधान संपादक ; 08/04/20
महामारी का रूप धारण कर चुके कोरोना वायरस के संक्रमण ने देश-दुनियाँ  में जैसी भयावह परिस्थितियाँ पैदा कर दी है, उनसे बचने के लिए हर किसी को बिना समय गंवाए चेत जाना चाहिए। इस महामारी से तभी लड़ा और बचा जा सकता है, जब हर कोई उसमें अपना सहयोग दें और ऐसा करते समय बेहद सतर्क रहें। यह साफ है कि कुछ मामलों में सख्ती बढ़ाने के साथ हीं कुछ मामलों में ढील देने की तत्काल जरूरत है। खासकर रबी की फसल तैयार है और उसे मंडियों में लाने का वक्त शुरू हो चुका है। यह एक ऐसा मामला है, जिसे बहुत  ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता। लेकिन मंडियों को संक्रमण मुक्त रखना और वहां सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करना काफी कठिन साबित होने वाला है। इधर, कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए तमाम तरह के उपायों के बीच अमेरिका ने भारत से मलेरिया के इलाज के लिए उपयुक्‍त हाइड्रोक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन दवा भेजने का आग्रह किया और भारत की ओर से इसके लिए अनुमति दे दी गई। इसके बाद राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महानबताया है। यह सच है कि भारत में हालात कई दूसरे देशों की तरह नहीं बिगड़े, तो इसमें काफी हद तक योगदान लॉकडाउन का भी है, जिसे समय रहते लागू कर दिया गया। पर यह भी सच है कि ज्यादा समय लॉकडाउन के बीत जाने के बाद भी हम अभी खतरे से पूरी तरह नहीं निकल सके हैं, बल्कि कई मामलों में तो खतरा बढ़ता हुआ दिख रहा है। जाहिर है, लॉकडाउन की जरूरत और उसे हटाने के दबावों के बीच स्पष्ट रणनीति की जरूरत है। प्राथमिकता सिर्फ एक है कि देश को महामारी से बचाया जाए। इन परिस्थियों में यह सीख देने एवं लेने वाला मंशा होना चाहिए कि यह समय एक-दूसरे की सहायता करने और संवेदनशीलता का परिचय देने का है।
मनोज कुमार, प्रधान संपादक (पटना)


Share To:

Post A Comment: