एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोविड-19 से जंग लड़ रही है वहीं दूसरी तरफ अमेरिका और ईरान एक बार फिर से अपने तीखी बयानबाजी से पूरी दुनिया का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। ये हाल तब है जब दोनों ही देश अपने यहां पर जारी कोरोना वायरस के प्रकोप को कम कर पाने में अब तक नाकाम रहे हैं। इसके अलावा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन बार-बार सभी देशों से मिलकर कोविड-19 के खिलाफ काम करने की अपील कर रहा है।आपको बता दें कि इन दोनों के बीच कई वर्षों से ही तनातनी का दौर जारी है। वर्ष 2015 में तत्‍कालीन अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने यूरोपीय देशों की मौजूदगी में ईरान से परमाणु डील की थी। इसको उस वक्‍त दोनों देशों की शांति प्रक्रिया में मील का पत्‍थर बताया गया था। लेकिन मई 2018 में राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस डील को अमेरिका के लिए बेकार बताते हुए खत्‍म कर दिया था। इसके बाद 2019 में ईरान ने भी इस डील से खुद को अलग कर लिया था।आपको बता दें कि अमेरिका ने ईरान पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं। इसका सीधा असर उन देशों पर पड़ा है जो ईरान से तेल खरीदते थे। इनमें भारत और चीन शामिल हैं। हालांकि भारत ने समय रहते खुद को इससे संभालने में सफलता हासिल की है। पहले जहां ईरान से भारत की जरूरत का अधिकांश तेल आता था वहीं अब सऊदी अरब समेत दूसरे देश इसकी सप्‍लाई कर रहे हैं।
(सभार/सौजन्य से)

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