कोरोना वायरस की जांच को लेकर जो रैपिड किट खराब निकली वो दरअसल शरीर में एंटीबॉडीज के बनने की प्रक्रिया का पता लगाती थीं। शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज को लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि जिन लोगों में कम एंटीबॉडी बन रहा है उनमें फिर से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है। इसके साथ ही ये भी पता चला है कि कोरोना से संक्रमित लोगों में सात से 10 दिनों के अंदर एंटीबॉडी बनना शुरू होता है। कोरोना की जांच कर रहे डॉक्‍टरों के सामने सबसे बड़ी समस्‍या ये है कि लोगों में इसकी मात्रा इतनी कम होती है कि यह पकड़ में ही नहीं आता। सिर्फ 14 फीसदी लोगों में उच्च स्तर का एंटीबॉडी बनता पाया गया है जबकि 40 फीसदी लोगों में मध्यम स्तर का एंटीबॉडी तैयार हुआ। 30 फीसदी लोग ऐसे पाए गए जिनमें एंटीबॉडी मुश्किल से बना और किसी वायरस से लड़ने की उसकी प्रतिरोधक क्षमता बनाने की मात्रा काफी कम थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कम क्षमता के एंटीबॉडी वालों में संक्रमण पता करना मुश्किल है। ये जानकारियां फुदान यूनिवर्सिटी के शोध में सामने आई है।

(सभार/सौजन्य से)

Share To:

Post A Comment: