सहन और जनजीवन का संबंध मनोस्थिति एवं शरीर की अनुकूलता पर निर्भर करता है।
मनोस्थिति का निर्माण परिस्थितियों से होता है और शारीरिक अनुकूलता हमें अपने
वातावरण, पर्यावरण तथा प्रकृति से हासिल हो जाती है। आज इस सवाल पर व्यापक चर्चा चल रही
है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया कैसी होगी? नि:संदेह दुनिया में होने वाले बदलावों के बीच भारत भी अछूता नहीं रहेगा। मानव
सभ्यता को चुनौती देने वाली महामारी से बाहर निकलने के बाद देश के सामाजिक ताने-बाने, आर्थिक तौर-तरीकों, पर्यावरण के प्रति दृष्टिकोण, स्वास्थ्य को लेकर परिवारों के नजरिये सहित हमारे विविध कार्यपद्धतियों में
बदलाव देखने को मिलेगा। अदृश्य वायरस की वजह से लॉक डाउन के दौर में समाज का हर
व्यक्ति भविष्य में होने वाले बदलावों के लिए ‘मन और शरीर’ से तैयार हो रहा है। यह मनुष्य के सीखने का दौर है। हम भविष्य के संभावित
बदलावों को सीख रहे हैं। चाहे भय वश हो या लक्ष्य वश अथवा बाधा वश ही क्यों न हो, हम नए तौर तरीकों को आजमा रहे हैं।
(सभार/सौजन्यसे)
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