धनबाद : जी हां, न गारंटर की जरूरत, न ब्याज देने की बाध्यता। और ना
ही पैसे लौटाने का दबाव। हां, दहेज लिया तो दंड के रूप में ली जाती है रकम। धनबाद, झारखंड के ओझाडीह गांव में चलता
है यह सौ साल पुराना अनोखा बैंक। नाम है गौरांग महाप्रभु का बैैंक। धनबाद के टुंडी
इलाके का ओझाडीह गांव। यहां गौरांग महाप्रभु के नाम पर चल रहे इस अनोखे बैंक का
सारा लेन-देन आस्था और विश्वास के नियम-कायदों पर टिका है।
यहां न पासबुक की जरूरत, न चेकबुक और एटीएम की। इस बैंक
में सारा कारोबार श्रद्धा, आस्था, मानवता और विश्वास के भरोसे ही
चलता आया है। करीब १०० साल पहले शुरू हुए इस खास बैंक से इलाके का कोई भी जरूरतमंद
लोन ले सकता है। गरीब जरूरतमंद लोग ही यहां से कर्ज लेते हैं। लौटाने की या ब्याज
की कोई शर्त नहीं है। पर श्रद्धा के इस लेनदेन में ऐसा आज तक नहीं हुआ कि किसी ने
ऋण की रकम वापस न की हो। यही तो इस बैंक की खूबी है।
(सभार/सौजन्य से)
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