रांची: रोल नं. 21, रोल नं. 22,
रोल नं. 25, रोल नं. 50 । अपने-अपने स्कूल के दिनों में कक्षाओं में गूंजती शिक्षक की यह आवाज सभी को
याद होगी। रोल नंबर कोई भी हो जवाब प्रेजेंट सर या उपस्थित सर ही होता है।
उपस्थिति दर्ज करने-कराने के इस परंपरागत तरीके को राजधानी रांची के एक शिक्षक ने
ऐसा बदला कि देखते ही देखते छात्रों की जानकारियां बढ़ने लगीं। फार्मूला हिट हुआ
तो उनके काम को सराहना भी मिलने लगी और कई स्कूल अब इस फार्मेट को अपनाने में जुट
गए हैं।
हाल ही में
बरियातू स्थित राजकीय विद्यालय के शिक्षक नसीम अहमद को पढ़ाई के क्षेत्र में इस
इनोवेटिव आइडिया के लिए झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सम्मानित किया है।
इस स्कूल में उपस्थिति दर्ज करने के दौरान छात्र रोल नंबर बोलने पर बच्चे किसी फूल, फल या फिर जानवर का नाम लेते हैं। इसी तरह
ऊंची कक्षा के बच्चे रोल नंबर बोलने पर राज्य-राजधानी, देश व उनकी करेंसी का नाम बोलते हैं। इससे
बच्चों में सीखने की भावना बढ़ रही है। वहीं, उपस्थिति दर्ज कराने के समय का भी बेहतर उपयोग हो जाता है।
(सभार/सौजन्य
से)
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