भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि देश ने सीमापार से दशकों से आतंकवाद का दंश झेला है। भारत ने कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के उसके प्रयास बाहर 'छुपे' आरोपियों के बारे में सूचना के आदान प्रदान और उनके प्रत्यर्पण के संबंध में वैश्चिक सहयोग के अभाव में असफल होते हैं।
         
गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) रीना मित्रा ने आतंकवाद निरोधक एजेंसियों के प्रमुखों के संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय सम्मेलन में बोलते हुए चेतावनी दी कि किसी भी देश को आतंकवादी कृत्यों से सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। 
उन्होंने कहा कि आतंकवादी तत्वों की सीमापार सम्पर्क होते हैं और वे नेटवर्क बनाने के लिए काम करते हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन एकत्रित करतें हैं, घृणा फैलाने वाली विचारधाराओं को बढ़ावा देते हैं, विदेशों से भर्तियां करते हैं, दूरस्थ प्रदाताओं से हथियार प्राप्त करते हैं और उनकी तस्करी करते हैं तथा आधुनिक संचार प्राद्यौगिकियां का इस्तेमाल करते हैं।
         
उन्होंने कहा, ''वे अपने चयन के देशों में लक्ष्य चुनते हैं, अक्सर सरकारी एजेंसियों की मदद से सीमा पार करते हैं और बेगुनाह लोगों को आतंकवाद से प्रभावित करते हैं। वे ऐसा कर पाते हैं क्योंकि देशों को संकीर्ण राजनीतिक विचारों के चलते आतंकवाद निरोधक नेटवर्क निरोधक गतिविधियों के लिए अपने समकक्षों के साथ मिलकर काम करने में अभी भी संघर्ष करना पड़ता है। 
(सभार/सौजन्य से)


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